उससे
बहुत डरता हूँ मैं
बचने के लिए मैंने
खड़ी की हैं दीवारें भी
लोग जिसे मेरा घर कहते हैं
पर आखिर
सोने का पिंज़रा भी जेल होता है
जैसे ही बाहर आऊं
मुड़ मुड़ के देखता हूँ
कहीं 'वो' है तो नहीं !
लोग पूछते हैं
किससे डरते हो !
उससे ? जो है ही नहीं
पर हाँ ,डर उसी का है
जो 'नहीं' है |
सुरेन्द्र जी लाजवाब रचना है...बधाई...
जवाब देंहटाएंनीरज
मान गए शर्माजी....सभी का यही हल है...
जवाब देंहटाएं