बिजली के खंभे पर
निर्वासित चिड़िया अवाक्
स्तब्ध निराश आँखें
ताकती हैं नीचे
सड़क पर तमाशा
सड़क पर दौड़ते हैं
हत्यारे ट्रक ,तिपहिया
और कारों के काफिले
गले में अटकीं शून्य ध्वनियाँ
रंगरेजों की यह बस्ती
आँखों में लाल आग ,रंग नहीं
जुगनू भी कहाँ शहर के अंधेरों में
भट्टियाँ और ईंधन
कंप्यूटर देखते हैं
सुख के अंबार , सपने
बमों के धमाके
पर नहीं टूटती कुम्भकर्णी नींद
शायद
मकड़ी की नियति तुम्हारी है.
निर्वासित चिड़िया अवाक्
स्तब्ध निराश आँखें
ताकती हैं नीचे
सड़क पर तमाशा
सड़क पर दौड़ते हैं
हत्यारे ट्रक ,तिपहिया
और कारों के काफिले
गले में अटकीं शून्य ध्वनियाँ
रंगरेजों की यह बस्ती
आँखों में लाल आग ,रंग नहीं
जुगनू भी कहाँ शहर के अंधेरों में
भट्टियाँ और ईंधन
कंप्यूटर देखते हैं
सुख के अंबार , सपने
बमों के धमाके
पर नहीं टूटती कुम्भकर्णी नींद
शायद
मकड़ी की नियति तुम्हारी है.