रविवार, अक्तूबर 25, 2009

उत्सव

आओ 
दिनों पर लगाएं ठप्पे
और मनाएँ उत्सव 
बीवी की चूड़ी बिके 
तो छल्लों का क्या 
शराब पियें और नाचें ,क्योंकि 
कल के लिए नहीं है 
अपने पास कोई और ठप्पा 
कल से फिर रेतेंगे 
एक दूसरे के गले 
आओ आज तो गले मिल लें ,
सहला लें और नाप लें 
नाली में बुझे पटाखे बीन लें 
कोशिश करें कि धमाके हों 
न हो तो न सही 
आज है उत्सव 
आओ मना लें