शुक्रवार, अक्तूबर 02, 2009

चुप्पा

चुप्पा  घुन्ना  कह  कर  उसको 
गाली  मत  दो 
मौन  तो  उसकी  भाषा  बंधु 
तुम  शब्दों  के  बाजीगर 

सूख  न  पायें  ताजा  रक्खो 
कील  फांस  के  ज़ख्मों  को 

उसके  दिल  में  झाँक के  देखो 
जनम  जनम  के  घाव  हैं  बंधु 


वह  तो  अभी  ककहरे  से 
दो  चार  हुआ  है 
अभी  न  सान चढाओ  उसको 
अभी  संलाप  नि :शब्द  से  उसका 
नीरवता  में  खोने  दो 

अभी  अभी  तो  उतरा  है 

बीच  समंदर  जाने  दो 
चुप्पा  घुन्ना  ......

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