चुप्पा घुन्ना कह कर उसको
गाली मत दो
मौन तो उसकी भाषा बंधु
तुम शब्दों के बाजीगर
सूख न पायें ताजा रक्खो
कील फांस के ज़ख्मों को
उसके दिल में झाँक के देखो
जनम जनम के घाव हैं बंधु
वह तो अभी ककहरे से
दो चार हुआ है
अभी न सान चढाओ उसको
अभी संलाप नि :शब्द से उसका
नीरवता में खोने दो
अभी अभी तो उतरा है
बीच समंदर जाने दो
चुप्पा घुन्ना ......
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